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एशियन चैंपियनशिप में भारत को चांदी दिलाने वाली बिंदयारानी को सता रही परिवार की चिंता, कहा- मां-बाप से 2 दिन से बात नहीं हुई

कोरिया में एशियाई चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाली भारतीय भारोत्तोलक बिंदयारानी देवी को यह पता नहीं है कि उनके माता-पित को उनकी इस उपलब्धि के बारे में पता है या नहीं.

एशियन चैंपियनशिप में भारत को चांदी दिलाने वाली बिंदयारानी को सता रही परिवार की चिंता, कहा- मां-बाप से 2 दिन से बात नहीं हुई
authorPTI Bhasha
Sat, 06 May 09:55 PM

कोरिया में एशियाई चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाली भारतीय भारोत्तोलक बिंदयारानी देवी को यह पता नहीं है कि उनके माता-पित को उनकी इस उपलब्धि के बारे में पता है या नहीं. इससे भी अहम बात यह कि बिंदयारानी अपने माता-पिता की सुरक्षा को लेकर चिंतित है क्योंकि उनके राज्य मणिपुर में पिछले दो दिनों से जातीय हिंसा के कारण इंटरनेट सेवा बंद है. वह पिछले दो दिनों से अपने परिवार से बात भी नहीं कर पाई है. जिन्जू में स्पर्धा के बाद जब पीटीआई ने  उनसे संपर्क किया तो यह 24 साल की खिलाड़ी भावुक हो गयी. बिंदयारानी ने कुल 194 किग्रा (83 किग्रा+111 किग्रा) वजन उठाकर पदक तालिका में देश का खाता खोला.

 

अपनी जीत के कुछ घंटे बाद बिंदयारानी ने सिसकते हुए कहा, ‘मैं पिछले दो दिनों से अपने माता-पिता से बात नहीं कर पाई हूं. हर प्रतियोगिता के पहले मां मुझे फोन करके आशीर्वाद देती हैं पर आज ऐसा नहीं हुआ.’ मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार (3 मई) को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी.

 

मणिपुर में 5 दिन से बंद है नेट
इस हिंसा में सैकड़ों लोगों की मौत हुई है जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए है. वहां प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं. राज्य के दंगे प्रभावित क्षेत्रों में करीब 10,000 सेना, अर्धसैनिक और केंद्रीय पुलिस बलों को तैनात किया गया है. शांति और सार्वजनिक व्यवस्था की गड़बड़ी को रोकने के लिए राज्य में पिछले पांच दिनों से इंटरनेट सेवा को निलंबित कर दिया गया है.

 

पिता किसान, चलाते हैं किराने की दुकान


बिंदयारानी ने कहा, ‘इंटरनेट बंद है, मैं उनसे बात नहीं कर पा रही हूं, मुझे डर लग रहा है. आज भी प्रतियोगिता में जाने से पहले मुझे रोने का मन कर रहा था.’ राष्ट्रमंडल खेलों की रजत पदक विजेता के पिता एक किसान हैं, जिनकी किराने की दुकान भी है. घर में उसका एक भाई, एक बहन और भाभी भी है. उन्होंने कहा, ‘पिछली बार जब मैंने बात की थी तो मेरे घर के आसपास कोई हिंसा नहीं हुई थी लेकिन अब मुझे नहीं पता कि क्या हो रहा है. तीन दिन पहले जब मैंने अपने परिवार से बात की थी, उस समय यह मुद्दा इतना बड़ा नहीं था. लेकिन अब हालात काफी खराब हो गए हैं.’ 

 

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