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Hockey World Cup: टीम इंडिया को ओलिंपिक मेडल दिलाने वाले दिग्गज ने बताया क्यों पेनल्टी कॉर्नर पर गोल करना हुआ मुश्किल

भारत के पूर्व ड्रैग फ्लिकर रूपिंदर पाल सिंह का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय टीमों के लिए पेनल्टी कॉर्नर से गोल करना लगातार मुश्किल होता जा रहा है.

hockey world cup: टीम इंडिया को ओलिंपिक मेडल दिलाने वाले दिग्गज ने बताया क्यों पेनल्टी कॉर्नर पर गोल करना हुआ मुश्किल
SportsTak - Sun, 22 Jan 05:03 PM

भारत के पूर्व ड्रैग फ्लिकर रूपिंदर पाल सिंह का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय टीमों के लिए पेनल्टी कॉर्नर से गोल करना लगातार मुश्किल होता जा रहा है. ऐसा खेल में वीडियो विश्लेषण जैसी तकनीक के इस्तेमाल से विरोधी टीमों  की रक्षापंक्ति को मजबूत बना दिया है. टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा रहे रुपिंदर ने कहा कि हाल के सालों में पेनल्टी-कॉर्नर के बचाव में काफी सुधार हुआ है और यही कारण है कि दुनिया भर में ड्रैग-फ्लिकर को गोल करने में परेशानी हो रही है. हॉकी वर्ल्ड कप 2023 में भी ऐसा ही दिख रहा है. रुपिंदर ने ओलंपिक के बाद खेल को अलविदा कह दिया था. 

 

उन्होंने ने पंजाब से ‘पीटीआई-भाषा’ को फोन पर दिएइंटरव्यू में कहा, ‘हाल के सालों में पेनल्टी कॉर्नर का बचाव करना एक कला बन गया है. हर टीम के पास अब यह अध्ययन करने के लिए वीडियो विश्लेषण है कि विरोधी अपने पेनल्टी कॉर्नर को कैसे लेते है. टीमें यह विश्लेषण करती है कि विपक्षी टीम के ड्रैग फ्लिकर कैसे फ्लिक करती है. उनके तरीके और तकनीक को देखकर वे इसके बचाव के लिए खुद को तैयार करती हैं.’ टोक्यो ओलिंपिक के दौरान ड्रैग फ्लिक में टीम के मौजूदा कप्तान हरमनप्रीत सिंह के साथ जोड़ी बनाने वाले रुपिंदर ने कहा, ‘भारत के मामले में भी ऐसा ही है. हम पेनल्टी कॉर्नर का बचाव करने में भी बहुत अच्छे हैं जैसा कि हमने इंग्लैंड के खिलाफ (इस विश्व कप में) देखा. हमारे खिलाड़ी अमित रोहिदास और मनप्रीत सिंह, बाहर निकलने और कोण को बंद करने के मामले में बहुत तेज हैं.’

 

भारत 16 में से तीन पेनल्टी कॉर्नर भुना सका

भारत ने मौजूदा विश्व कप में 16 पेनल्टी कॉर्नर हासिल किए और इसमें से सिर्फ तीन को गोल में बदलने में सफल रहा. पूल चरणों के अंत में 24 मैचों में टीमों ने कुल 130 पेनल्टी कॉर्नर हासिल किये और इसमें से 43 को गोल में बदलने में सफल रहे. इस 32 साल के पूर्व खिलाड़ी ने कहा, ‘यह विश्व कप है, कोई सामान्य सीरीज या द्विपक्षीय टेस्ट सीरीज नहीं है. हर टीम पेनल्टी कॉर्नर पर अधिक गोल करने की कोशिश करेगी जबकि विरोधी टीम उसके बचाव की कोशिश करेगी.’

 

'ड्रैग फ्लिकर को नए तरीके ढूंढ़ने होंगे'

रूपिंदर ने कहा कि विपक्षी टीमों के वीडियो विश्लेषण के अलावा, अब बेहतर गुणवत्ता वाले उपकरण, जैसे कि घुटने और मुंह का गार्ड, दस्ताने और हेड गार्ड ने ड्रैग फ्लिक को अतीत की तुलना में कम खतरनाक बना दिया है.  इसलिए वे अब बेहतर बचाव कर सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘हम यह नहीं कह सकते कि ड्रैग फ्लिकर का प्रभाव हॉकी में कम हुआ है. हां गोल के आंकड़े कम हुए है क्योंकि रक्षापंक्ति के पास चोटिल होने से बचाव के बेहतर उपकरण है. ड्रैग-फ्लिकर भी गोल करने के नए तरीके ढूंढ़ेंगे, यह बस समय से जुड़ा है. अगर इंजेक्टर ( पेनल्टी कॉर्नर पर गेंद को पहले हिट करने वाला), स्टॉपर और ड्रैग फ्लिकर के बीच समन्वय सही रहा तो गोल होने के मौके ज्यादा होते है.’

 

टीम इंडिया को दी ये सलाह

भारतीय कप्तान हरमनप्रीत मौजूदा विश्व कप में पेनल्टी पर सिर्फ एक गोल कर सके है. लेकिन रूपिंदर ने भारतीय खिलाड़ियों को संयम बरतने की सलाह दी. उन्होंने कहा, ‘अधिक दबाव वाले मैचों में ऐसा होता है. उन्हें शांत और सकारात्मक रहना चाहिए. मुझे लगता है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और उन्हें नकारात्मक विचार नहीं रखने चाहिए.’ हरमनप्रीत टोक्यो ओलिंपिक के दौरान शानदार फॉर्म में थीं, उन्होंने छह गोल किए, जिसमें जर्मनी के खिलाफ कांस्य-पदक मैच के दौरान एक गोल भी शामिल था. उस मैच में रुपिंदर ने भी अपनी ड्रैग फ्लिक से एक गोल किया था.

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