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विराट कोहली हर मैच को आखिरी मानकर क्यों खेल रहे, बोले- मैं हमेशा नहीं खेलने वाला हूं
विराट कोहली का कहना है कि वह अब अपने हर मैच को आखिरी मानकर खेलते हैं.
विराट कोहली का कहना है कि वह अब अपने हर मैच को आखिरी मानकर खेलते हैं. वे अब पहले की तुलना में काफी दार्शनिक हो गए हैं. उनका कहना है कि व्यक्तिगत इच्छाओं के चलते चीजें मुश्किल होती है. उन्होंने यह बात श्रीलंका के खिलाफ गुवाहाटी वनडे में शतक लगाने के बाद कही. विराट कोहली की 88 गेंद में 113 रन की पारी के दम पर भारत ने पहले वनडे में 373 रन बनाने के बाद श्रीलंका की पारी को आठ विकेट पर 306 रन पर रोक दिया. उन्होंने मैच के बाद कहा, ‘एक चीज जो मैंने सीखी वह यह कि हताशा आपको कहीं नहीं ले जाती. आपको चीजों को जटिल बनाने की जरूरत नहीं है. खेल अभी भी आसान है. हम अपने लगाव, अपनी इच्छाओं के चलते चीजों को मुश्किल बनाते हैं. लोगों के नजरिए से हमारे लगाव तय होते हैं न कि उस तरह से जब हमने बल्ला या गेंद पहली बार पकड़ी थी. मुझे लगता है कि जब यह नजरिया हट जाता है तब आपको सब कुछ नीचे जाता हुआ महसूस होता है.
उन्होंने आगे कहा, ऐसे में खुद को इन चीजों से दूर करने से ही मदद मिलती है. जब आप बिना किसी डर के खेलते हैं और आपको सही कारणों से खेलना होता है. हर मैच को ऐसे खेलना होता है जैसे कि यह आपका आखिरी हो और बस इसके बारे में खुश रहें. मैंने ये बातें सीखी हैं. मैं चीजों को पकड़ कर नहीं रख सकता. खेल आगे बढ़ता रहेगा. हमेशा आगे बढ़ेगा. पहले भी कई खिलाड़ी खेल चुके हैं. मैं भी हमेशा के लिए नहीं खेलने वाला हूं. इसलिए मैं किससे लगाव रख रहा हूं और किसे बचाने की कोशिश कर रहा हूं. ये सब बातें मुझे महसूस हुई. अब मैं एक खुशहाल जगह पर हूं और अपने समय का आनंद ले रहा हूं.’
शतकीय पारी पर क्या बोले कोहली
कोहली ने लगातार दूसरे वनडे में शतक लगाया. उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी वनडे में भी शतक लगाया था. श्रीलंका के खिलाफ पारी के बारे में भारत के इस पूर्व कप्तान ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मैंने अपनी पारी में कुछ अलग किया. मेरी तैयारी और इरादा हमेशा एक जैसा रहता है. कई बार जो फ्लो आपको चाहिए होता है वो नहीं मिलता है. मुझे लगा कि मैं गेंद को अच्छे से हिट कर रहा हूं. इसलिए मैं अपने इंटेंट के साथ डटा रहा और जब विकेट गिर रहे थे तब भी एक छोर पर बना रहा और दूसरों के साथ खेलता रहा. जैसा कि मैंने इनिंग्स ब्रेक के दौरान कहा था कि यह उस लय के करीब था जिसके साथ मैं खेलता हूं, मुझे समझ में आया कि हमें अतिरिक्त 25-30 रनों की जरूरत है.’
'किस्मत हमेशा नहीं चमकती'
कोहली को श्रीलंकाई फील्डर्स ने दो बार जीवनदान भी दिया. पहले 52 और फिर 81 रन पर उनका कैच छूटा. इस बारे में उन्होंने कहा कि इस तरह के दिनों के वे आभारी हैं क्योंकि किस्मत हमेशा नहीं चमकती है. उन्होंने कहा, 'किस्मत की बड़ी भूमिका होती है और इस तरह की शामों में जब किस्मत साथ हो तो आप सिर झुकाकर ऊपरवाले को शुक्रिया कहते हैं. जब लक साथ नहीं होता है तब हम थोड़ा झुंझला जाते हैं. लेकिन इस तरह की शामों को भी याद रखना चाहिए. मैं 50 रन पर भी आउट हो सकता था लेकिन लक की वजह से शतक बन गया. मुझे इसका पूरा ध्यान है.'
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