Exclusive | 3 दिन तक चलने वाले फाइनल में मैग्नस कार्लसन से प्रज्ञाननंद को क्यों मिली हार, खुद खोला राज
भारत के 18 साल के युवा ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञाननंद ने चेस वर्ल्ड कप फाइनल (chess world cup final) में हार का कारण बताया.
Advertisement
Advertisement
भारत के 18 साल के युवा ग्रैंडमास्टर आर. प्रज्ञाननंद (R Praggnanandhaa) को फिडे चेस वर्ल्ड कप (FIDE Chess World Cup Final) के फाइनल में मैग्नस कार्लसन से हार का सामना करना पड़ा. कार्लसन ने तीन दिन तक चलने वाले फाइनल मुकाबले में प्रज्ञाननंद को 1.5 - 0.5 से हराया. इस हार के साथ ही चेस वर्ल्ड कप फाइनल तक जाने वाले विश्नाथन आनंद के बाद दूसरे भारतीय प्रज्ञाननंद बने. उन्होंने स्पोर्ट्स टुडे से ख़ास बातचीत में बताया कि कैसे कार्लसन के आगे हार मिली. जबकि फाइनल तक के सफर में अपनी मां के योगदान को भी सराहा कि उनके हाथ का घर का बना खाना (रसम और राइस) अजरबैजान में भी मिल सका.
प्रज्ञाननंद ने इतिहास रचने के बाद स्पोर्ट्स टुडे से बातचीत में कहा, "टाई ब्रेकर में पहला गेम काफी महत्वपूर्ण था. लेकिन अहम समय में कुछ गलतियां हो गई. उसके बाद दूसरे गेम में इन हालात का मुझे जशायद ज्यादा अनुभव नहीं था. पिछले काफी समय से लगातार चेस खेल रहा था तो मानसिक तौरपर भी थकान थी. लेकिन कार्लसन के पास काफी अनुभव था. जिससे शायद मैं पीछे रह गया. हालांकि मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं."
टूर्नामेंट के दौरान मां के हाथ का ही खाना खाया
प्रज्ञाननंद ने आगे कहा कि हां मेरी मां हमेशा साथ होती है. अब वह काफी गेम को समझने लगी हैं. वह मैच के दौरान मेरी जीत की प्रार्थना भी करती रहती हैं. मैं जब भी बाहर टूर्नामेंट खेलने जाता हूं तो बाहर का खाना नहीं खाता हूं. क्योंकि उससे बीमार पड़ने के ज्यादा चांस होते हैं. मेरी मां यहां भी मेरे लिए खाना बना रहीं थी. रसम और राइस काफी पसंद है और कार्लसन के साथ यही हुआ कि फाइनल के दौरान उनके पेट में भी समस्या आ गई थी. लेकिन मैं भाग्यशाली हूं कि मां के हाथ का खाना मिल जाता है.
भारत के हर एक खिलाड़ी को खेलना चाहिए चेस
चेस फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष संजय कपूर ने कहा, "ये एक स्टार खिलाड़ी है और हम भविष्य में जरूर वापसी करेंगे. इसके साथ ही मैं कहना चाहूंगा कि भारत के हर एक घर में बच्चों को प्रोफेशनली नहीं तो कम से कम चेस जरूर खेलना चाहिए. क्योंकि मैं जानता हूं कि कई बच्चे वीडियो गेम में समय बर्बाद करते हैं. जिससे उनका माइंड ब्लैंक हो जाता है. अगर वह सभी चेस खेलेंगे तो ना सिर्फ माइंड काफी शार्प बल्कि उनकी मोटरस्किल में भी सुधार होगा. इसलिए मैं चाहूंगा कि हर घर में बच्चों को चेस जरूर खेलना चाहिए."
ये भी पढ़ें :-
FIDE Chess World Cup Final : मैग्नस कार्लसन बने वर्ल्ड चैंपियन, टाई ब्रेकर में प्रज्ञाननंद को मिली हार
Asia Cup 2023 से पहले दमदार फिटनेस के साथ लौटे विराट कोहली, यो-यो टेस्ट में उड़ाया धुंआ
Advertisement