पाकिस्तानी आर्मी ने क्यों बनाई हॉकी वर्ल्ड कप की ट्रॉफी, किसने किया डिजाइन, जानिए सबकुछ
भारत के ओडिशा राज्य के भुवनेश्वर और राउरकेला में नए साल 2023 में सबसे पहले Advertisement
Sun - 08 Jan 2023
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भारत के ओडिशा राज्य के भुवनेश्वर और राउरकेला में नए साल 2023 में सबसे पहले हॉकी वर्ल्ड कप (Hockey World Cup 2023) का आगाज होने वाला है. इसकी लगातार साल 2018 के बाद दूसरी बार मेजबानी करने के लिए भारत अपनी सभी तैयारियां पूरी कर चुका है. हॉकी वर्ल्ड कप 2023 इस बार भारत के दो मैदानों कलिंगा और बिरसा मुंडा स्टेडियम में खेला जाएगा. इस वर्ल्ड कप में कुल 16 टीमें भाग लेंगी जिसमें 44 मैच खेले जाने हैं. ऐसे में हॉकी वर्ल्ड कप की चमचमाती ट्रॉफी की बात करें तो इसका डिज़ाइन पाकिस्तान ने तैयार किया था. जिसके बाद साल 2017 में इसमें भारत के आपत्ति जताने पर बहुत बड़ा बदलाव भी किया गया है.
हॉकी वर्ल्ड कप का जन्मदाता है पाकिस्तान
गौरतलब है कि हॉकी वर्ल्ड कप का जन्मदाता पाकिस्तान को माना जाता है. क्योंकि हॉकी वर्ल्ड कप कराने का विचार सबसे पहले साल 1969-70 के बीच पाकिस्तान के एयर मार्शल नूर खान के दिमाग में आया था. उन्होंने हॉकी की अंतरराष्ट्रीय संस्था को इसके बारे में बताया. जिसके चलते साल 1971 से इस टूर्नामेंट की शुरुआत हुई. ऐसे में पहला हॉकी वर्ल्ड कप पाकिस्तान में खेला जाना था. लेकिन उसी समय बांग्लादेश को आजादी दिलाने के चलते भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसा माहौल बन गया था. जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय हॉकी संस्था (एफआईएच) ने इस टूर्नामेंट को स्पेन में शिफ्ट कर दिया था.
पाकिस्तान आर्मी ने बनाई ट्रॉफी
ऐसे में हॉकी वर्ल्ड कप को दुनिया के सामने लाने का श्रेय जहां पाकिस्तान को जाता है. वहीं हॉकी वर्ल्ड कप की ट्रॉफी को बनाने में भी पाकिस्तान का योगदान रहा. पाकिस्तान आर्मी के बशीर मोजिद ने ट्रॉफी का डिजाइन ब्रुसेल (बेल्जियम) में तैयार किया था. 27 मार्च 1971 को बेल्जियम में मौजूद पाकिस्तान के राजदूत मसूद द्वारा हॉकी वर्ल्ड कप की ट्रॉफी का अनावरण पहली बार किया गया. उन्होंने उस समय ये ट्रॉफी एफआईएच अध्यक्ष रेने फ्रैंक को सौंपी थी.
कश्मीर को लेकर खड़ा हुआ विवाद
दरअसल, पाकिस्तान ने जो हॉकी वर्ल्ड कप की ट्रॉफी बनाई थी. उसमें ट्रॉफी के उपरी हिस्से में जो ग्लोब बना हुआ था. उसमें जम्मू एंड कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दर्शाया गया था. जिसकी शिकायत साल 2016 में हॉकी इंडिया के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा ने की थी. बत्रा ने कहा था कि अगर इसे नहीं बदला गया तो फिर मैं या भारत का कोई भी नेता इस ट्रॉफी को हाथ नहीं लगाएगा. इस मामले को एफआईएच ने गंभीरता से लिया और फिर साल 2017 में ट्रॉफी के ग्लोब पर देश की जगह दुनिया के महाद्वीपों को दर्शाया गया. इस तरह यही बदली हुई ट्रॉफी अब हॉकी वर्ल्ड कप में जीतने वाली टीम को दी जाएगी.
ट्रॉफी की खासियत
हॉकी वर्ल्ड कप ट्रॉफी की बात करें तो इसका डिज़ाइन एक पुष्प की तरह बनाया गया है. जिसमें सबसे उपरी हिस्से में ग्लोब और उसके उपर हॉकी स्टिक को दर्शाया गया है. इस ट्रॉफी में 895 ग्राम सोना, 6,815 ग्राम चांदी, 350 ग्राम आइवरी और 3,500 ग्राम सागौन की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है. इस ट्रॉफी का वजन 11.56 किलोग्राम है. जबकि इसकी उंचाई 650 मिलीमीटर है.
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