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सानिया मिर्जा ने क्यों कहा मैंने समाज के किसी नियम को नहीं तोड़ा और मैं ट्रेंड सेटर नहीं?

कई लोग सानिया मिर्जा को नए मानदंड (ट्रेंड-सेटर) स्थापित करने वाले मानते है जबकि कुछ उन्हें बंधनों को तोड़ने वाला करार देते हैं.

सानिया मिर्जा ने क्यों कहा मैंने समाज के किसी नियम को नहीं तोड़ा और मैं ट्रेंड सेटर नहीं?
SportsTak - Mon, 20 Feb 08:41 PM

भारतीय टेनिस की दिग्गज खिलाड़ी सानिया मिर्जा (Sania Mirza) को जिंदगी अपनी शर्तों पर जीने का कोई मलाल नहीं है. कई लोग सानिया को नए मानदंड (ट्रेंड-सेटर) स्थापित करने वाले मानते है जबकि कुछ उन्हें बंधनों को तोड़ने वाला करार देते हैं. खुद सानिया हालांकि इन बातों से इत्तेफाक नहीं रखती. उनका मानना है कि वह बस अपनी शर्तों पर जीवन जीना चाहती है. सानिया ने टेनिस में आश्चर्यजनक सफलता हासिल की है जिसके आसपास कोई भी भारतीय महिला टेनिस खिलाड़ी नहीं है. मौजूदा खिलाड़ियों को भी देखें तो निकट भविष्य में सानिया के बराबर सफलता हासिल करने की कुव्वत किसी में भी नजर नहीं आ रही है. सानिया ने एक प्रेरक जीवन जिया है.

 

सानिया ने दुबई में अपने घर पर पीटीआई से बातचीत में कहा जो लोग अपने तरीके से काम करने की हिम्मत करते हैं उसे लेकर समाज को मतभेदों को स्वीकार करना चाहिए और किसी को खलनायक या नायक के तौर पर पेश करने से बचना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय टेनिस को अलविदा की घोषणा कर चुकी सानिया ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मैंने किसी नियम या बंधन को तोड़ा हैं. ये कौन लोग हैं जो इन नियमों को बना रहे हैं और ये कौन लोग हैं जो आदर्श होने की परिभाषा गढ़ रहे हैं.’

 

दुबई में अपना आखिरी टूर्नामेंट (डब्ल्यूटीए) खेल रही सानिया ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हर व्यक्ति अलग है और हर व्यक्ति को अलग होने की स्वतंत्रता होनी चाहिए. मुझे लगता है कि एक समाज के रूप में यही वह जगह है जहां हम शायद बेहतर कर सकते हैं. हमें सिर्फ इसलिए लोगों की प्रशंसा या बुराई नहीं करनी चाहिए क्योंकि वे कुछ अलग कर रहे हैं. हम सब अलग-अलग तरह से बातें करते हैं, हम सबकी अलग-अलग राय है. मुझे लगता है कि एक बार जब हम सभी स्वीकार कर लेते हैं कि हम सभी अलग हैं तो हम नियमों को तोड़ने की बात को छोड़कर उन मतभेदों के साथ मिलजुल कर रह सकते हैं.’

 

खुद को ट्रेंड सेटर क्यों नहीं मानती सानिया


छह ग्रैंड स्लैम युगल खिताब और साल के अंत में डब्ल्यूटीए चैंपियनशिप ट्रॉफी हासिल करने के साथ ही एकल करियर में 27वें स्थान के साथ सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग के बाद भी, अगर सानिया ‘ट्रेंड-सेटर’ नहीं हैं तो वह क्या है? सानिया ने कहा, ‘मैं खुद ईमानदारी के साथ रहने की कोशिश करती हूं. मैंने यही करने की कोशिश की है. मैंने खुद के प्रति सच्चे रहने की कोशिश की है. और मैंने जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीने की कोशिश की है.’

 

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि हर किसी को ऐसा करने में सक्षम होना चाहिए और ऐसा करने की आजादी होनी चाहिए. किसी के लिए यह नहीं कहना चाहिये कि आप नए मानदंड गढ़ रहे हैं. आप नियम तोड़ रहे हैं क्योंकि आप कुछ ऐसा कर रहे हैं जो आप करना चाहते हैं. यह एक ऐसी चीज है जिस पर मुझे बहुत गर्व है क्योंकि यह जरूरी नहीं कि मैं दूसरों से अलग रहूं. मैं आपके लिए अलग हो सकती हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं कोई बागी हूं, या  किसी तरह के नियम तोड़ रही हूं.’

 

लड़कियों के खेलों में आने पर सानिया क्या बोलीं


पिछले कुछ सालों में भारतीय खेल में बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन हाल के सालों तक महिला एथलीटों को स्वीकृति और मान्यता के लिए संघर्ष करना पड़ा था. उन्हें खेल में करियर बनाने के योग्य भी नहीं माना जाता था और  अगर कोई मुस्लिम परिवार से था तो उसके लिए और मुश्किलें थी. सानिया ने कहा कि महिला एथलीटों का समर्थन नहीं करना सिर्फ मुस्लिम परिवारों तक ही सीमित नहीं है. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि यह सिर्फ मुस्लिम समुदाय का मुद्दा है. यह समस्या उपमहाद्वीप में ही है. अगर ऐसा नहीं होता तो हमारे पास सभी समुदायों से बहुत अधिक युवा महिलाएं खेलती हुई दिखती.’

 

उन्होंने कहा, ‘आपने मैरीकॉम को भी यह कहते हुए सुना होगा कि लोग नहीं चाहते थे कि वह मुक्केबाजी करे. वास्तव में इसका किसी समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है. मैं एक ऐसे परिवार से आती हूं जो अपने समय से बहुत आगे था, जिसने अपनी युवा लड़की को टेनिस खेलने के लिए प्रेरित किया. उस समय टेनिस जो एक ऐसा खेल था जो हैदराबाद में अनसुना सा था और फिर विंबलडन में खेलने का सपना देखना, किसी ने सोचा भी नहीं था.’

 

उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि खेल को लेकर मे मेरे माता-पिता पर कोई दबाव था या नहीं. लेकिन उन्होंने मुझे वह दबाव महसूस नहीं होने दिया. उन्होंने मुझे सुरक्षित रखा, जब तक मैं थोड़ी बड़ी नहीं हुई तब तक मैं वास्तव में इसे ज्यादा समझ नहीं पायी थी. मैंने अपने चाचा-चाची से  इधर-उधर कानाफूसी सुनी थी कि खेलने के कारण काली हो जाएगी तो क्या होगा, शादी कैसे होगी. उपमहाद्वीप में की कोई भी लड़की इन बातों को बता सकती है. एक युवा महिला को केवल तभी संपूर्ण माना जाता है जब वह अच्छी दिखती है या एक निश्चित तरह की दिखती है, शादी हो जाती है, एक बच्चा होता है. ऐसी मानसिकता है कि इन चीजों के बाद ही एक लड़की पूर्ण बनती है.’

 

सानिया ने मां बनने के बाद वापसी पर क्या कहा


सानिया ने कहा, ‘ मां बनने के बाद मैंने खेल में वापसी की क्योंकि मैं यह दिखाना चाहती थी कि मां बनने के बाद भी आप चैम्पियन बन सकते हैं और आजादी के साथ जीवन जी सकते हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि आपको अपने जीवन के कुछ हिस्सों का त्याग करना होगा. आप मां, पत्नी या बेटी नहीं बन सकतीं. आप ऐसा करने के बाद भी चैम्पियन बन सकती हैं.’

 

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