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Jeremy Lalrinnunga: जो था ओलिंपिक गोल्ड मेडल लाने का दावेदार वो क्यों हुआ नेशनल कैंप से बाहर, कैसे वेटलिफ्टिंग फेडरेशन को किया नाराज
जेरेमी लालरिनुंगा प्रतिभाशाली वेटलिफ्टर हैं और अभी तक के अपने करियर में कमाल की उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं. इनमें यूथ ओलिंपिक्स गोल्ड मेडल से लेकर कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड तक शामिल है.
भारतीय खेलों में लगातार देखा गया है कि खिलाड़ियों और एसोसिएशन की बीच टकराव रहता है. मनिका बत्रा-भारतीय टेबल टेनिस संघ, सानिया मिर्जा- भारतीय लॉन टेनिस संघ, तेजस्विन शंकर-भारतीय एथलेटिक्स फेडरेशन जैसे कुछ मामले हालिया समय में सुर्खियों में रहे थे. अब वेटलिफ्टिंग में भी ऐसा होता दिख रहा है. युवा खिलाड़ी जेरेमी लालरिनुंगा (Jeremy Lalrinnunga) को अनुशासनहीनता और ट्रायल न देने के आरोप में नेशनल कैंप से बाहर कर दिया गया. इसके चलते अब यह खिलाड़ी अगले साल पेरिस में होने वाले ओलिंपिक खेलों की रेस से भी बाहर हो गया. जेरेमी लालरिनुंगा प्रतिभाशाली वेटलिफ्टर हैं और अभी तक के अपने करियर में कमाल की उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं. इनमें यूथ ओलिंपिक्स गोल्ड मेडल से लेकर कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड तक शामिल है. आखिर क्या है लालरिनुंगा और वेटलिफ्टिंग के बीच का विवाद और क्या है लालरिनुंगा की कहानी.
वेटलिफ्टिंग फेडरेशन के मुखिया सहदेव यादव ने 6 जुलाई को बताया कि लालरिनुंगा को नेशनल कैंप से बाहर कर दिया गया है. उनका मामला अनुशासन से जुड़ा है. उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'जेरेमी जब चोटिल हुआ तो हमने उसे सेंट लुईस (अमेरिका) जाने के लिए कहा. हमने टॉप्स से भी बात की लेकिन उसने जाने से इनकार कर दिया. वह प्रतिभाशाली खिलाड़ी है लेकिन उसने विश्व चैम्पियनशिप और एशियाई खेलों के लिए ट्रायल्स नहीं दिया. इसलिए हमने उसे शिविर से बाहर कर दिया. उसे वापसी करने के लिये अच्छा प्रदर्शन करना होगा.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने यादव के हवाले से लिखा है, 'उसे कैंप से 1 जुलाई को हटाया गया. 30 जून को ट्रायल थे लेकिन वह उसमें नहीं आया. दुख की बात है कि सफलता उसके दिमाग पर चढ़ गई है. उसने प्रतिभा को जाया किया है. हाई-फाई हो गए हैं ये लोग. बच्चों को कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने पर इनामी रकम के तौर पर करोड़ों रुपये मिले. फिर सरकार से हर महीने 50 हजार रुपये मिलते हैं. इन सबसे माइंटसेट बदल गया. अगर वह अमेरिका जाता थो मजबूत और फिट होकर आता. साथ ही वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी खेलता. जब उसे फेडरेशन की सुननी ही नहीं है तो कैंप में रखने का क्या मतलब.'
क्यों पेरिस ओलिंपिक में नहीं जा पाएंगे जेरेमी?
कैंप में बाहर किए जाने के साथ ही जेरेमी को सऊदी अरब की राजधानी रियाद में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए नहीं चुना गया. 2024 ओलिंपिक क्वालीफिकेशन नियम के अनुसार एक भारोत्तोलक का 2023 विश्व चैम्पियनशिप और 2024 विश्व कप में हिस्सा लेना अनिवार्य है. अब जब जेरेमी चैंपियनशिप में नहीं खेल रहे हैं तो पेरिस जाने का टिकट भी उन्हें नहीं मिल पाएगा. समझा जाता है कि वे टॉप्स की लिस्ट से भी बाहर कर दिए जाएंगे. टॉप्स में ओलिंपिक मेडल जीतने के दावेदारों को ही रखा जाता है. अभी तक जेरेमी की तरफ से इस मामले में कोई रिएक्शन नहीं आया है. वे अभी पुणे में सेना के इंस्टीट्यूट में ट्रेनिंग कर रहे हैं.
कौन है जेरेमी लालरिनुंगा
20 साल के लालरिनुंगा मिजोरम से आते हैं. वे सबसे पहले 15 साल की उम्र में यूथ ओलिंपिक्स में गोल्ड मेडल जीतकर खबरों में आए थे. वे इस टूर्नामेंट में गोल्ड जीतने वाले भारत के पहले खिलाड़ी थे. पिछले साल उन्होंने बर्मिंघम में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड हासिल किया था. कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में भी उनके नाम सोने का पदक है. ऐसे में वे वेटलिफ्टिंग में भारत की पदक की सबसे बड़ी उम्मीदों में से एक है. पेरिस ओलिंपिक में मीराबाई चानू के साथ वे सबसे बड़े दावेदार होते.
लालरिनुंगा खिलाड़ियों के परिवार से आते हैं. उनके पिता बॉक्सर रहे हैं. उन्होंने सब जूनियर लेवल पर दो मेडल भी जीत रखे हैं. हालांकि जेरेमी जब बड़े हुए तब परिवार के आर्थिक हालात मुश्किलों भरे थे. उनके पिता ने पीडब्ल्यूडी में मजदूर के तौर पर काम किया था. बचपन में जेरेमी ने पिता का एक मेडल गंवा दिया था. इसके बाद उनके पिता ने कहा था कि तुम्हें यह मेडल हासिल करना है. इससे प्रेरणा लेकर ही जेरेमी ने वेटलिफ्टिंग में पूरी जान झोंक दी थी. शुरुआत बांस के डंडों से पानी के कैन बांधकर उठाने से की. अभी वे भारतीय सेना का हिस्सा भी हैं और सूबेदार की पोस्ट पर हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले उन्होंने इस प्रतियोगिता के गोल्ड मेडल को अपना वॉलपेपर बना लिया था. यहां गोल्ड जीतने के बाद ओलिंपिक को उन्होंने लक्ष्य बनाया था. लेकिन अब लग रहा है कि यह सपना लंबा खींच जाएगा.
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