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आखिर कैसे मिलती है देशों को ओलिंपिक की मेजबानी, जानें कितने साल पहले होता है शहर का चुनाव?
Paris Olympics 2024: ओलिंपिक खेलों की मेजबानी हासिल करना अपने आप में एक चुनौती है. ओलिंपिक की मेजबानी किसी देश कई साल पहले ही मिल जाती है.
ओलिंपिक दुनिया के खेलों का सबसे बड़ा महाकुंभ है. ओलिंपिक में देश का परचम लहराना, हर एक खिलाड़ी का सपना होता है. करीब 200 देशों के 10 हजार से ज्यादा खिलाड़ी 300 से ज्यादा इवेंट्स के लिए हर चार साल में किसी देश के एक शहर में जुटते हैं. ऐसे में उस देश के लिए उनकी मेजबानी का व्यवस्था करना एक दिन की बात नहीं है. इस महाआयोजन की तैयारी में किसी देश को कई साल लग जाते हैं. ओलिंपिक की मेजबानी के लिए पूरी तरह से तैयार होने में किसी देश को करीब 10 साल लगते हैं. इसी वजह से देश को मेजबानी 7 से 8 साल पहले ही दे दी जाती है.
आइए जानते हैं कि किसी देश को ओलिंपिक की मेजबानी हासिल करने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है.
सालों पहले शुरु हो जाती है तैयारी
आमतौर पर किसी ओलिंपिक खेल की मेजबानी की प्रक्रिया खेल के आयोजन से कम से कम 7- 8 साल पहले शुरु हो जाती है. 2024 के ओलिंपिक के लिए पेरिस शहर का चुनाव 2017 में ही गया था. तब जाकर फ्रांस मेजबानी के लिए तैयार हो गया. ओलिंपिक की मेजबानी के दौरान स्टेडियम, होटल, सुरक्षा समेत कई सारी चीजों की व्यवस्था करनी होती है, इसलिए इतने साल पहले ही शहर का चुनाव कर लिया जाता है.
कैसे मिलती है ओलिंपिक की मेजबानी
अगर कोई देश ओलिंपिक की मेजबानी हासिल करना चाहता है, तो सबसे पहले उसे इंटरनेशनल ओलिंपिक कमिटी (आईओसी) के सामने प्रस्ताव रखना होता है. उसके बाद आईओसी दस महीनों तक ऑडिट करता है कि जिस देश ने प्रस्ताव भेजा है, उसके पास मेजबानी करने के पर्याप्त संसाधन है या नहीं. इसमें सबसे पहले स्टेडियम का इंफ्रास्ट्रक्चर देखा जाता है, इसके साथ-साथ इसमें शहर में ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था, एथलीट्स और टूरिस्ट के ठहरने की व्यवस्था आदि भी शामिल है. इसके बाद जो देश इन सभी मानकों पर खरे उतरते हैं, उनके बीच बिडिंग कराई जाती है. ओलिंपिक खेलों को आयोजित करने में खरबों रुपये खर्च होते हैं, ऐसे में जो देश सबसे अधिक खर्च करने का आश्वासन देता है, उसे मेजबानी सौंप दी जाती है.
25 खेल कराने की क्षमता
ओलिंपिक खेलों की मेजबानी के लिए आवेदक देश के सामने पहली शर्त ये है कि क्या वो अपने शहर में ओलिंपिक के 25 खेल और उससे जुड़े 310 इवेंट करा सकता है या नहीं. इस मामले में ओलिंपिक समिति का मानना है कि अगर एक ही शहर में ये खेल कराने के पर्याप्त साधन नहीं है, तो मेजबान देश दूसरे शहर में भी खेलों को आयोजित करा सकता है. खेलों को व्यवस्थित तरीके से कराने के लिए खेल गांव को बसाया जाता है, जहां खिलाड़ियों, अधिकारियों और प्रशिक्षकों के ठहरने की व्यवस्था की जाती है.
40,000 हजार होटल कमरों की व्यवस्था
मेजबानी हासिल करने के लिए मेजबान शहर में कम से कम 40 हजार होटल कमरे होने चाहिए. ओलिंपिक खेलों के 10,000 हजार से ज्यादा एथलीट्स, सैकड़ों अधिकारी, मैच ऑफिशियल्स और लाखों की संख्या में टूरिस्ट के ठहरने की व्यवस्था को लेकर ओलिंपिक समिति सख्त है. साल 2016 के ओलिंपिक खेलों के लिए मेजबान शहर रियो को करीब 15 हजार नए होटल कमरों को बनवाना पड़ा था. इसके साथ ही सड़कें, ट्रेन, एयरपोर्ट को भी दुरुस्त करना होता है.
मेजबानी में कितना खर्च आता है
ओलिंपिक खेलों के आयोजन काफी महंगे होते हैं. 2020 के टोक्यो ओलिंपिक खेलों की मेजबानी में कुल 35 अरब डॉलर्स का खर्च आया था. इससे पहले 2016 के रियो ओलिंपिक में 13 अरब डॉलर्स खर्च हुए थे. इसमें सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने में काफी खर्च आता है. हालांकि, अमेरिका के 9/11 हमलों के बाद से इसमें बढ़ोतरी दर्ज की गई है. साल 2000 के सिडनी ओलिंपिक में सुरक्षा पर 250 मिलियन डॉलर्स खर्च किए गए थे, तो 2004 के एथेंस ओलिंपिक में 1.5 अरब डॉलर्स सुरक्षा पर लगाए गए.
जब मेजबानी से पीछे हटा अमेरिका
अमेरिका ओलिंपिक की मेजबानी हासिल करने के बाद पीछे हटने वाला पहला देश बना. साल 1976 के ओलिंपिक खेल डेनवर शहर में होने को थे, लेकिन खेलों के आयोजन से तीन साल पहले डेनवर फंडिंग की कमी का हवाला देकर पीछे हट गया. तब आईओसी ने ऑस्ट्रिया के इंसब्रुक शहर को खेलों की मेजबानी सौंपी थी. ऐसा इसलिए क्योंकि इंसब्रुक पहले भी 1964 में ओलिंपिक की मेजबानी कर चुका था और उसके पास पर्याप्त संसाधन और अनुभव था.
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