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Olympic Boycott : 65 देशों ने मिलकर मास्को ओलिंपिक का क्यों किया बॉयकॉट? 1896 से लेकर अभी तक कौन-कौन से देश बने इन खेलों के विरोधी, जानिए सब कुछ
Olympic Boycott : साल 1896 से लेकर अभी तक कई बार इन खेलों का कई देशों ने बहिष्कार भी किया. जिसमें साल 1984 का मास्को ओलिंपिक सबसे अधिक विवादित रहा.
आधुनिक ओलिंपिक खेलों का इतिहास काफी पुराना है. ग्रीस के ओलंपिया शहर से निकले इन खेलों को पियरे डी कूबर्टिन ने साल 1896 में एक नया जन्म दिया और एथेंस शहर से शुरू हुए आधुनिक ओलिंपिक खेल अब पूरे दुनिया के धरोहर बन चुके हैं. वर्ल्ड के सभी दमदार एथलीट अब ओलिंपिक खेलों में मेडल जीत का सपना लेकर देश का नाम रोशन करने के लिए सब कुछ झोंक देते हैं. इसी कड़ी में ओलिंपिक खेलों को जहां धीरे-धीरे समय के साथ एक नई पहचान मिली. वहीं साल 1896 से लेकर अभी तक कई बार इन खेलों का कई देशों ने बहिष्कार भी किया. जिसमें साल 1984 का मास्को ओलिंपिक सबसे अधिक विवादित रहा. ऐसे में चालिए जानते हैं कि आधुनिक ओलिंपिक की शुरुआत से लेकर अभी तक इन खेलों का कब-कब और क्यों बहिष्कार किया गया. जबकि कई बार कुछ देश एथलीट नहीं होने या फिर आर्थिक संकट के चलते मजबूरन नहीं खेल सके.
1936 बर्लिन ओलिंपिक का आयरलैंड ने किया बॉयकॉट
1936 के बर्लिन ओलिंपिक जर्मनी में हुए इस खेलों में भारत सहित जहां तमाम देशों ने भाग लिया. वहीं ओलिंपिक काउंसिल ऑफ़ आयरलैंड ने इन खेलों का बॉयकॉट किया क्योंकि अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति का मानना था कि आयरलैंड के एथलीट पूरे द्वीप समूह के बजाए सिर्फ स्वतंत्र आयरिश राज्य का ही नेतृत्व कर सकते हैं. इसी मसले के चलते आयरलैंड ने बर्लिंन ओलिंपिक का बहिष्कार किया था. इसके अलावा स्पेन भी अपने यहां जारी सिविल वॉर के चलते इन खेलों में भाग नहीं ले सका था और सोवियत संघ भी इन खेलों से बाहर रहा.
1956 मेलबर्न ओलिंपिक - चीन से लेकर लेबनान तक कई देशों ने किया बॉयकॉट
साल 1956 के ओलिंपिक गेम्स ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में आयोजित किए गए. इन खेलों में सोवियत संघ द्वारा हंगरी के विद्रोह के दमन के कारण नीदरलैंड्स, स्पेन और स्विट्जरलैंड ने भाग लेने से मना कर दिया था. जबकि स्टॉकहोम में एक घुड़सवारी दल भेजा गया था. इसके अलावा कंबोडिया, मिस्र, इराक और लेबनान ने स्वेज कनाल संकट के कारण इन खेलों का बहिष्कार किया और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने ताइवान से आने वाले एथलीटों का रिपब्लिक ऑफ चाइना के अंडर भाग लेने के कारण इन खेलों का बहिष्कार किया था.
1972 म्यूनिख और 1976 मॉन्ट्रियल ओलिंपिक का भी हुआ बॉयकॉट
1972 में म्यूनिख और 1976 मॉन्ट्रियल ओलिंपिक के लिए कई अफ्रीकी देशों ने मिलकर अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति को धमकी दी कि अलगाववादी शासन के कारण साउथ अफ्रीका और रोडेशिया के भाग लेने पर बैन लगाया जाए. इस कड़ी में न्यूजीलैंड भी शामिल था क्योंकि उसके रग्बी खिलाड़ियों ने इन सबके बीच साउथ अफ्रीका का दौरा किया था. इस मामले में आईओसी ने पहले दो मतों पर सहमती जताई लेकिन न्यूजीलैंड पर बैन नहीं लगाया क्योंकि रग्बी खेल ओलिंपिक में शामिल नहीं था. लेकिन इसके बावजूद अपनी धमकी की शर्त को पूरा करते हुए गुयाना और इराक के साथ बीस अफ्रीकी देश 1976 मॉन्ट्रियल ओलिंपिक गेम्स से पीछे हट गए. 1896 ओलिंपिक से ऐसा पहली बार हुआ था जब 34 देशों ने किसी ओलिंपिक गेम्स का बॉयकॉट किया था
1980 मास्को ओलिंपिक में 65 देशों में किया बॉयकॉट
1980 के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ के बीच कोल्ड वॉर जारी था. जिसके चलते रूस के मास्को शहर में आयोजित होने वाले ओलिंपिक खेलों के लिए अमेरिका के साथ 65 अन्य देशों ने इन खेलों का बहिष्कार बड़े पैमाने पर इसलिए किया क्योंकि सोवियत संघ ने अफगानिस्तान पर अटैक किया था. जबकि अल्बेनिया ने बिना कारण बताए अपना नाम वापस लिया और चीन ने ताइवान को अलग करने के लिए भाग नहीं लिया. जिससे कुल 67 देश इसमें भाग नहीं ले सके थे. इस तरह आधुनिक ओलिंपिक खेलों का पहली बार इतने बड़े पैमाने पर बहिष्कार हुआ और सिर्फ 80 देशों ने भाग लिया, जो कि 1956 के बाद सबसे कम देशों के बीच खेला जाने वाला ओलिंपिक बना. इसके बाद जब साल 1984 में अमेरिका के लॉस एंजिल्स में ओलिंपिक आयोजित हुए तो सोवियंत संघ सहित कुल 15 देशों ने बहिष्कार किया जबकि 19 देश इसमें भाग नहीं ले सके थे.
साल 1988 सियोल ओलिंपिक
साल 1988 में सियोल में होने वाले ओलिंपिक खेलों में जहां तमाम देशों बढ़चढ़कर हिसा लिया. वहीं इन ओलिंपिक खेलों का किसी ने बहिष्कार तो नहीं किया लेकिन कुछ देशों ने आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते भाग नहीं लिया तो कुछ ने आईसोसी के निमंत्रण का जवाब ही नहीं दिया. जिसमें आर्थिक स्थिति के चलते निकारागुआ और मेडागास्कर जबकि इथोपिया, अल्बेनिया और सेशल्स ने निमंत्रण का जवाब नहीं दिया. वहीं कट्टर दुश्मनी के चलते साउथ कोरिया ने भाग नहीं लिया और क्यूबा देश भी इन खेलों से बाहर रहा.
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