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Paris Olympics: क्या है फोटो फिनिश, जिससे 100 मीटर रेस के ओलिंपिक विजेता का हुआ ऐलान, जानें कब हुई इसकी शुरुआत
फोटो फिनिश की मदद से अमेरिका के नोआ लाइल्स मेंस 100 मीटर रेस के विनर बने. उन्हें जमैका के थॉम्पसन से कड़ी चुनौती मिली
अमेरिका के नोआ लाइल्स दुनिया के सबसे तेज मेंस एथलीट बन गए हैं. उन्होंने मेंस 100 मीटर की रेस में जमैका के किशेन थॉम्पसन को हराकर पेरिस ओलिंपिक का गोल्ड मेडल जीता. इस रेस के विजेता के ऐलान के लिए हर किसी को इंतजार करना पड़ा. दरअसल इस रेस के विजेता का ऐलान फोटो फिनिश से हुआ. नोआ और थॉम्पसन दोनों ने 9.79 सेकेंड में रेस पूरी की. ऐसे में किसी को नहीं पता था कि रेस का विजेता कौन बना. ऐसे में फोटो फिनिश का सहारा लिया और फिर ऐलान हुआ कि नोआ ने 5/1000वें सेकेंड मुकाबला जीता. उनकी टाइमिंग 9.79 (.784) रही, जबकि थॉम्पसन की टाइमिंग 9.79 (.789) रही. फोटो फिनिश की मदद से दुनिया को नया चैंपियन मिला.
क्या है फोटो फिनिश?
जब किसी रेस में प्रतियोगी लगभग एक ही समय में फिनिशिंग लाइन पार करते हैं तो ऐसे में विजेता का ऐलान फोटो फिनिश की मदद से किया जाता है. दरअसल इतने करीबी मुकाबले में बारीकी से देखने पर भी ये पता लगाना संभव नहीं होता कि किसने लाइन को पहले क्रॉस किया. ऐसे में अधिक सटीक जांच के लिए फिनिश लाइन पर ली गई तस्वीर या वीडियो का इस्तेमाल किया जा सकता है. विश्व एथलेटिक्स के अनुसार जैसे ही एथलीट फिनिश लाइन के पास पहुंचते हैं, एक 'स्लिट-वीडियो सिस्टम फिनिश लाइन के साथ ट्रैक के एक अति पतले हिस्से को स्कैन करती है.
इसे प्रति सेकंड 2000 बार स्कैन करती है, जिससे लाइन पार करने वाले हर एथलीट की अनब्रोकन इमेज मिलती है और इसे एथलीट के समय के साथ कॉर्डिनेट करती है. पेरिस ओलिंपिक में 100 मीटर फाइनल में थॉम्पसन के पैर ने पहले फिनिशिंग लाइन को पार किया, मगर नोआ विजेता बने. जिसे लेकर काफी लोग कंफ्यूज भी हैं. दरअसल नियम के अनुसार क्लॉक तब रुकती है जब एथलीट के शरीर का ऊपरी लाइन को पार करता है, ना कि शरीर का पहला अंग और इसी वजह से नोआ विनर बने.
कब हुई थी फोटो फिनिश की शुरुआत?
1940 और 1950 के दशक में रेसिंग इंड्रस्टी में धोखाधड़ी को कम करने के लिए फोटो-फिनिश कैमरे विकसित किए गए थे. शुरुआत में घुड़दौड़ में इसका इस्तेमाल किया गया था. कैमरे को फिनिशिंग लाइन पर रखा जाता था. कैमरे का शटर हर सेकेंड में 136 इमेज कैप्चर करता था, जो उस वक्त चालू होता था जब कोई घोड़ा रेस ट्रैक पर एक पतला धागा तोड़ता था. समय के साथ इन कैमरों में और सुधार होते गए. फोटो फिनिश का इस्तेमाल ओलिंपिक में 1912 से ही किया जा रहा है, जब मेंस की 1500 मीटर रेस में इसका इस्तेमाल किया गया था.
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