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Vinesh Phogat Silver : विनेश फोगाट को सिल्वर मेडल मिलते ही पदक तालिका में कितने स्थान की छलांग लगाएगा भारत, जानिए

Vinesh Phogat Medal: भारत छह मेडल के साथ पेरिस ओलिंपिक की पदक तालिका में 71वें पायदान पर रहा था. विनेश का मेडल आने पर भारत की स्थिति में सुधार होगा.

विनेश फोगाट.
authorShakti Shekhawat
Tue, 13 Aug 08:41 PM

 पेरिस ओलिंपिक 2024 में भारत का अभियान छह मेडल के साथ खत्म हुआ था. नीरज चोपड़ा के एक सिल्वर और कुश्ती, शूटिंग व हॉकी में कुल पांच कांस्य आए थे. कुश्ती में विनेश फोगाट फाइनल में पहुंची थी और कम से कम सिल्वर पक्का कर चुकी थी लेकिन उन्हें 100 ग्राम वजन ज्यादा होने पर डिसक्वालीफाई कर दिया गया था. इससे भारत के हाथ से एक मेडल फिसल गया था. हालांकि विनेश फोगाट की ओर से कॉर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स में अपील की गई और सिल्वर देने की मांग की गई. इस पर अब 13 अगस्त को फैसला रहा है. अगर फैसला विनेश और भारत के पक्ष में आता है तब भारत के नाम पेरिस ओलिंपिक में कुल सात मेडल हो जाएगा. इससे सिल्वर की संख्या दो हो जाएगी.

 

भारत छह मेडल के साथ पेरिस ओलिंपिक की पदक तालिका में 71वें पायदान पर रहा था. विनेश का मेडल आने पर भारत की स्थिति में सुधार होगा. वह तीन स्थान की छलांग लगाएगा और 68वें नंबर पर आ जाएगा. अभी यहां पर किर्गिजस्तान है जिसने दो सिल्वर और चार कांस्य जीते हैं. इतन ही पदक नॉर्थ कोरिया के नाम भी हैं. भारत के पास पांच कांसे हैं जिनकी मदद से वह 68वें स्थान पर चला जाएगा. तीन साल पहले भारत टोक्यो ओलिंपिक में 48वें पायदान पर रहा था. तब उसने एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार कांस्य पदक जीते थे. वहां उसे कुल सात मेडल मिले थे.

 

विनेश के मेडल से पाकिस्तान को पछाड़ देगा भारत

 

विनेश फोगाट के सिल्वर मेडल जीतने पर भी भारत पदक तालिका में पाकिस्तान से ऊपर नहीं जा पाएगा. पाकिस्तान अरशद नदीम के गोल्ड मेडल के चलते पेरिस ओलिंपिक मेडल टैली में 63वें नंबर पर है. उसके पास गोल्ड है जिससे वह भारत से ऊपर है. दूसरा सिल्वर आने पर भी भारत उससे ऊपर नहीं जा सकेगा.

 

विनेश ने मेडल जीता तो बनेगा इतिहास

 

विनेश को सिल्वर मेडल मिलता है तो वह ओलिंपिक में यह पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय होंगी. उनसे पहले सुशील कुमार (2012) और रवि दहिया (2020) यह कमाल कर चुके हैं. अभी तक किसी भारतीय ने कुश्ती में सोना नहीं जीता है. कांसे की बात करें तो केडी जाधव (1952), सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और अमन सहरावत को यह पदक मिल चुका है.

 

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