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भारतीय सैनिक के बेटे ने पेरिस पैरालिंपिक में लहराया तिरंगा, सीजन का बेस्‍ट थ्रो करके देश के लिए जीती 'चांदी'

मेंस डिस्‍क्‍स थ्रो एफ 56 में भारतीय स्‍टार योगेश कथुनिया ने सिल्‍वर मेडल जीत लिया है. उन्‍होंने सीजन का बेस्‍ट थ्रो किया.

योगेश कथुनिया ने डिस्‍क्‍स थ्रो में सिल्‍वर जीता
authorकिरण सिंह
Mon, 02 Sep 03:00 PM

भारतीय सैनिक के बेटे ने पेरिस पैरालिंपिक में तिरंगा लहरा दिया है. योगेश कथुनिया ने मेंस डिस्‍क्‍स थ्रो एफ 56 में सिल्‍वर मेडल जीता. पैरालिंपिक में ये उनका लगातर दूसरा सिल्‍वर है. योगेश ने फाइनल में 42.22 मीटर का थ्रो करके भारत को चांदी दिलाई. ये उनका सीजन का बेस्‍ट थ्रो भी रहा. उनके सिल्‍वर के साथ ही भारत के मेडल की संख्‍या भी आठ हो गई है.

कथुनिया ने पहला थ्रो ही 42.22 मीटर का किया, जिसके दम पर वो दूसरे स्‍थान पर रहने में सफल रहे. 

 

पहले थ्रो के बाद तो योगेश अपनी लय ही हासिल नहीं कर पाए. उन्‍होंने 42.22, 41.50, 41.55, 40.89 और 39.68 मीटर का थ्रो किया. जबकि ब्राजील के बतिस्ता डॉस सैंटोस ने 46. 86 मीटर के पैरालिंपिक रिकॉर्ड के साथ गोल्‍ड जीता. उनके सभी थ्रो 44 मीटर से ऊपर के रहे.  27 साल के योगेश ने टोक्‍यो पैरालिंपिक में भी सिल्‍वर जीता था.

 

मां ने जमीन-आसमान एक कर दिया 

 

योगेश की इस सफलता के पीछे उनके माता-पिता का बहुत बड़ा हाथ है. योगेश के पिता ज्ञानचंद कथुनिया भारतीय सेना में सैनिक थे. जबकि मां हाऊसवाइफ थीं. मगर उन्‍होंने अपने बेटे के लिए फिजियोथैरेपी सीखी. दरअसल योगेश जब 9 साल के थे तो उन्‍हें गिलियन-बैरे सिंड्रोम हो गया. इसके बाद उनकी मां ने फिजियोथैरेपी सीखी और तीन साल के अंदर यानी 12 साल की उम्र तक योगेश ने वापस चलने लायक मांसपेशियों की ताकत हासिल कर ली थी.

 

उन्‍होंने साल 2016 में पैरा स्‍पोर्ट्स शुरू किया. इसके दो साल बाद 2018 में उन्‍होंने एफ 36 कैटेगरी में वर्ल्‍ड पैरा एथलेटिक्‍स यूरोपीयन चैंपियनशिप में 45.18 मीटर का थ्रो करके वर्ल्‍ड रिकॉर्ड बना दिया था.

 

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