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Paris Olympics: पीआर श्रीजेश इस देश के गोलकीपर को मानते हैं अपना फरिश्ता, 'हार के बाद मुझे एक कोने में अकेला छोड़ दिया जाता था'
Paris Olympics: पीआर श्रीजेश ने अब तक टीम इंडिया के लिए गोलकीपर के तौर पर कमाल किया है. ऐसे में ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ सेमीफाइनल में उनसे हर फैन को काफी उम्मीदें हैं.
भारतीय पुरुष हॉकी टीम पेरिस ओलिंपिक 2024 में कमाल कर रही है और टीम अब मेडल से ज्यादा दूर नहीं है. इस बीच जिस एक खिलाड़ी की हर जगह चर्चा हो रही है वो टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश हैं. पीआर अपनी स्किल्स, गोल बचाने की तकनीक और आक्रामक खेल के लिए जाने जाते हैं. सिराज ही वो गोलकीपर है जिनके चलते अब तक भारत को न्यूजीलैंड, अर्जेंटीना, आयरलैंड और ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ जीत मिली है. भारतीय टीम सेमीफाइनल में पहुंच चुकी है और टीम की टक्कर 6 अगस्त को जर्मनी के खिलाफ है. ऐसे में एक बार फिर सभी की नजरें पीआर श्रीजेश पर ही होंगी. इस बीच पीआर श्रीजेश ने नीदरलैंड्स के पूर्व गोलकीपर जाप स्टॉकमैन को अपना फरिश्ता बताया है.
स्पोर्ट्सस्टार को दिए गए इंटरव्यू में पीआर श्रीजेश ने बताया कि वो पहले काफी ज्यादा डिस्टर्ब रहते थे लेकिन बाद में उन्हें किताबों में शांति मिली. श्रीजेश ने कहा कि जब जब उनकी टीम खेलने के लिए विदेश जाती थी तब तब उन्हें एक्स्ट्रा लगेज के लिए पैसे देने पड़ते थे और ऐसा इसलिए होता था क्योंकि उनके पास काफी ज्यादा किताबें रहती थीं. इस दौरान वो कभी भी डिस्टर्ब रहते थे तब उनके साथ एक शख्स हमेशा खड़ा रहता था.
नीदरलैंड्स के गोलकीपर ने हमेशा दिया साथ
श्रीजेश ने बताया कि नीदरलैंड्स के गोलकीपर जाप स्टॉकमैन ने हमेशा से ही मेरा सपोर्ट किया है. ऐसे में इस गोलकीपर को श्रीजेश ने अपना फरिश्ता बताया है. श्रीजेश ने कहा कि टोक्यो में मैं हर बार उन्हें मैसेज करता था और ये कहता था कि मुझे आपकी मदद चाहिए. रियो में हम क्वार्टरफाइनल में हार गए थे. ऐसे में मैं खुद को मोटिविटेड रखना चाहता था. सेमीफाइनल में खेलना मेरे लिए नया था. वहीं ब्रॉन्ज मेडल मैच भी मैं पहली बार खेल रहा था. ऐसे में मैं बार बार उनसे पूछता गया कि मुझे क्या करना चाहिए और किस चीज पर फोकस रखना चाहिए. वो मुझे हमेशा कहते थे. ये तुम्हारा गेम है. चिंता मत करो, ज्यादा मत सोचो, बस बेसिक पर ध्यान दो.
उन्होंने मुझे कहा था कि, हम गोलकीपर्स एक अलग तरह की स्थिति से गुजरते हैं. गोल होने के बाद या मैच हारने के बाद सबकुछ हमपर आ जाता है. हम अलग बैठते हैं. अलग सोचते हैं. पूरी टीम से हम अलग हो जाते हैं और हार के पीछे हर कोई हमें ही जिम्मेदार ठहराता है.
पिता ने हॉकी किट के लिए बेच दी थी गाय
श्रीजेश ने कहा कि वो स्टॉकमैन ही थे जिन्होंने मुझे दूसरों के साथ बैठकर बात करना सिखाया. मैंने टोक्यो में उनसे अनुभव लिया था. इसके बाद भी मैं सबकुछ छोड़ देना चाहता था. लेकिन तभी उनका मैसेज आया और उन्होंने कहा कि, क्या फेडरेशन या कोच ने आपसे कहा है कि आप फिट नहीं हो. आप जब तक कोशिश नहीं करोगे तब तक कैसे पता चलेगा कि आप क्या हो. इस एक मैसेज की वजह से ही मैं अब तक खुद को आगे लेकर आ पाया हू.
बता दें कि ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ श्रीजेश के करियर में 23वें बार ऐसा हुआ जब वो पेनल्टी शूटआउट गोलपोस्ट के सामने थे. इसमें 13 बार उनकी कीपिंग के चलते टीम को जीत मिली है. ब्रिटेन के खिलाफ उनका प्रदर्शन इतना धांसू था कि ब्रिटिश कोच स्टैंड्स से ही उनके लिए ताली बजा रहे थे. बता दें कि श्रीजेश केरल से आते हैं और उनके पिता ने हॉकी किट के लिए अपनी गाय बेच दी थी.
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