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जसप्रीत बुमराह मेरा स्मैश नहीं झेल पाएंगे, जानें साइना नेहवाल ने भारतीय गेंदबाज को लेकर क्यों कहा ऐसा

साइना नेहवाल ने कहा कि हमें सभी खेलों को एक लेवल पर देखना चाहिए क्योंकि हर खिलाड़ी अपनी जगह पूरी मेहनत करता है. नेहवाल ने कहा कि बुमराह मेरा स्मैश नहीं झेल पाएंगे.

प्रैक्टिस के दौरान साइना नेहवाल
authorNeeraj Singh
Sat, 10 Aug 07:13 PM

लंदन 2012 ओलिंपिक में भारत की कांस्य पदक विजेता साइना नेहवाल ने एक बार फिर इस बात पर दुख जताया कि देश में क्रिकेट को अन्य भारतीय खेलों की तुलना में अधिक सुविधाएं और महत्व दिया जाता है. हाल ही में, केकेआर के युवा क्रिकेटर अंगकृष रघुवंशी साइना नेहवाल का मजाक उड़ाने वाले ट्वीट को लेकर निशाने पर थे. लेकिन बाद में उन्होंने उस ट्वीट को डिलीट कर दिया. रघुवंशी की टिप्पणियों से अलग हटकर स्टार भारतीय शटलर ने मजाकिया अंदाज में कहा कि जसप्रीत बुमराह उनके स्मैश को संभाल नहीं पाएंगे. साइना के इस जवाब को अब रघुवंशी से जोड़कर देखा जा रहा है.

 

नेहवाल ने साधा निशाना


नेहवाल ने शुभांकर मिश्रा के पॉडकास्ट पर कहा कि "आप उस स्तर पर विराट कैसे बनेंगे? आप रोहित शर्मा कैसे बनेंगे? बहुत से खिलाड़ी उनके जैसा बनना चाहते हैं लेकिन वो नहीं बन सकते. उनमें से केवल कुछ ही ऐसे हैं. लेकिन मुझे लगता है कि यह कौशल-आधारित खेल है. मैं वैसे भी जसप्रीत बुमराह का सामना क्यों करूंगी? अगर मैं 8 साल से खेल रही होती तो शायद मैं जसप्रीत बुमराह का जवाब देती.''

 

 

 

हाल ही में राजनीतिज्ञ बनीं नेहवाल ने कहा कि देश में ऐसी चीजों के लिए लड़ाई नहीं होनी चाहिए और हर खेल को पनपने के लिए जगह मिलनी चाहिए.

 

2012 लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता ने कहा कि, "अगर जसप्रीत बुमराह मेरे साथ बैडमिंटन खेलते हैं तो शायद वह मेरा स्मैश नहीं ले पाएंगे. हमें अपने देश में इन चीजों के लिए आपस में नहीं लड़ना चाहिए. यही मैं कहना चाहती हूं. हर खेल अपनी जगह पर सर्वश्रेष्ठ है. लेकिन मैं कहना चाहती हूं कि दूसरे खेलों को भी महत्व दें. नहीं तो हम खेल संस्कृति कहां से लाएंगे? और क्रिकेट, बॉलीवुड हमेशा हमारा फोकस रहेगा.''

 

नेहवाल ने बताया कि अगर क्रिकेट और दूसरे भारतीय खेलों के बीच असमानता कम होगी और खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं दी जाएंगी तो वे देश के लिए और पदक ला पाएंगे.उन्होंने पॉडकास्ट के टीजर में कहा, "हमारे पास कितनी बैडमिंटन एकेडमी हैं? (और फिर) सोचिए कि क्रिकेट में कितनी हैं... अगर बैडमिंटन के लिए इतनी सारी एकेडमी हैं, बेहतरीन सुविधाएं हैं, तो हमें गुणवत्तापूर्ण खिलाड़ी क्यों नहीं मिलेंगे."

 

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