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कौन हैं एंथनी डी मेलो, जिनके नाम पर रखा गया भारत-इंग्लैंड ट्रॉफी का नाम, बिना एक भी मैच खेले कैसे बन गए इतने खास

Anthony de Mello Trophy का आगाज 2021 से भारत में खेली गई सीरीज से हुआ था. पर कौन हैं एंथनी डी मेलो और उनके नाम पर क्यों बीसीसीआई ने ट्रॉफी शुरू की.

भारत और इंग्लैंड जब भारतीय जमीन पर टेस्ट खेलते हैं तो जीतने वाले को एंथनी डी मेलो ट्रॉफी कहते हैं.
authorShakti Shekhawat
Tue, 23 Jan 11:06 PM

Anthony de Mello Trophy: भारत और इंग्लैंड के बीच 25 जनवरी से एंथनी डी मेलो ट्रॉफी का आगाज होगा. रोहित शर्मा और बेन स्टोक्स की कप्तानी वाली टीमें इस ट्रॉफी को जीतने के लिए पांच टेस्ट खेलेंगी और इसका पहला मैच हैदराबाद में खेला जाएगा. भारत और इंग्लैंड के बीच होने वाली टेस्ट सीरीज की ट्रॉफी के दो नाम है. जब दोनों टीमें इंग्लैंड में खेलती हैं जब इसे पटौदी ट्रॉफी कहा जाता है. यह नाम पटौदी परिवार के क्रिकेट में योगदान के चलते चुना गया. 2007 में पहली बार पटौदी ट्रॉफी हुई. भारत में जब इंग्लैंड से टेस्ट सीरीज खेली जाती है तो उसे एंथनी डी मेलो ट्रॉफी कहा जाता है. क्या आप जानते हैं कौन थे एंथनी डी मेलो जिनके नाम पर यह ट्रॉफी होती है. नहीं पता, कोई बात नहीं. कहानी में आगे यही जानकारी आपके लिए मौजूद है. 

 

बीसीसीआई ने 2021 से भारत में इंग्लैंड से होने वाली टेस्ट सीरीज की ट्रॉफी का नाम एंथनी डी मेलो ट्रॉफी रखा. हालांकि कोशिशें हुई कि भारत में इंग्लैंड से होने वाली टेस्ट सीरीज को भी पटौदी ट्रॉफी ही कहा जाए. लेकिन बीसीसीआई इस पर सहमति नहीं दी. उसने एक ऐसे शख्स को यह सम्मान दिया जिसने भारत के लिए कोई मैच नहीं खेला. लेकिन एक ऐसा काम किया जिससे बीसीसीआई अस्तित्व में आया.

 

कौन हैं एंथनी डी मेलो

 

वे भारतीय क्रिकेट बोर्ड यानी बीसीसीआई के संस्थापकों में से एक हैं. उन्होंने घरेलू स्तर पर क्रिकेट भी खेला और बाद में भारत के क्रिकेट बोर्ड की स्थापना में अहम रोल निभाया. उनका जन्म कराची में 1900 में हुआ. सिंध में शुरुआती पढ़ाई हुई. फिर इंग्लैंड चले गए और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से डिग्री ली. उनके नाम 11 फर्स्ट क्लास मुकाबले हैं. इनमें उन्होंने 82 रन बनाए और 17 विकेट लिए. 66 रन देकर छह विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा. लेकिन इससे ज्यादा बड़ी पहचान उन्हें आगे चलकर तब मिली जब उन्होंने बीसीसीआई की नींव रखने में मदद की.

 

डी मेलो 1927 में उस बैठक में शामिल थे जिसमें बीसीसीआई की स्थापना पर बात हुई. इसमें पटियाला महाराजा और कारोबारी आरई ग्रांट गोवन भी शामिल रहे थे. 1928 में जब दिल्ली के रोशनआरा क्लब में बीसीसीआई की शुरुआत हुई तब गोवन पहले प्रेसीडेंट बने तो डी मेलो पहले सेक्रेटरी. बाद में उन्होंने मुंबई में क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया के गठन का काम भी किया. वे 1928-29 से 1937-38 तक बीसीसीआई सेक्रेटरी रहे. फिर 1946-47 से 1950-51 के बीच प्रेसीडेंट बने. 1934 में उन्होंने नेशनल चैंपियनशिप और इसकी ट्रॉफी का प्रस्ताव रखा. यही आगे चलकर रणजी ट्रॉफी कहलाई.

 

कई खेलों से जुड़े रहे एंथनी डी मेलो


डी मेलो क्रिकेट के साथ ही कई और खेलों से भी जुड़े रहे. 1948 में वे एशियन क्रिकेट कॉन्फ्रेंस के संस्थापक अध्यक्षी बने. वे भारतीय टेबल टेनिस फेडरेशन के अध्यक्ष रहे तो एशिया टेबल टेनिस फेडरेशन की स्थापना भी उन्होंने ही की. वे दिल्ली में हुए पहले एशियाई खेलों की आयोजन समिति के चेयरमैन के पद पर भी रहे.

 

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