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'सौराष्ट्र से खेलने से डरती हैं टीमें, कभी हमें मुंबई से लगता था डर', रणजी चैंपियन कोच ने क्यों कहा ऐसा

सौराष्ट्र के मुख्य कोच नीरज ओडेड्रा ने पिछले एक दशक में अपनी टीम के शानदार प्रदर्शन पर कहा है कि एक समय था जब उनकी टीम मुंबई से खेलने से डरती थी और अब वह और बाकी टीम हमारे से डरती हैं.

'सौराष्ट्र से खेलने से डरती हैं टीमें, कभी हमें मुंबई से लगता था डर', रणजी चैंपियन कोच ने क्यों कहा ऐसा
SportsTak - Tue, 21 Feb 07:44 PM

सौराष्ट्र के मुख्य कोच नीरज ओडेड्रा ने पिछले एक दशक में अपनी टीम के शानदार प्रदर्शन पर कहा है कि एक समय था जब उनकी टीम मुंबई से खेलने से डरती थी और अब वह और बाकी टीम हमारे से डरती हैं. सौराष्ट्र ने रविवार को तीन सत्र में अपना दूसरा रणजी खिताब जीता. सौराष्ट्र ने मार्च 2020 में कोविड-19 के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगने से कुछ दिन पहले बंगाल को हराकर अपना पहला रणजी ट्रॉफी खिताब जीता था और जयदेव उनादकट की अगुआई में टीम ने पिछले हफ्ते इसी विरोधी को हराकर लाल गेंद के क्रिकेट में अपना दबदबा स्थापित किया.

 

नीरज ने कहा था कि 2007-08 के बाद अपना पहला 50 ओवर का विजय हजारे ट्रॉफी खिताब जीतकर मौजूदा सत्र में उनकी टीम ‘सफेद गेंद के फॉर्मेट में मजबूत’ बनकर उभरी है. उनादकट, अर्पित वसावड़ा, शेल्डन जैक्सन, चिराग जानी और धर्मेंद्रसिंह जडेजा जैसे टीम के अनुभवी खिलाड़ियों ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया. यह ऐसी टीम है जिसमें 11वें स्थान तक बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ी हैं और टीम में काफी ‘ऑलराउंडर’ हैं. सौराष्ट्र पिछले सप्ताह 10 सालों में अपना पांचवां रणजी फाइनल खेल रहा था लेकिन लगातार फाइनल में पहुंचने के बावजूद पिछले दशक के पहले हिस्से में उनके पास एक चैंपियन टीम से जुड़ा आत्मविश्वास नहीं था.

 

नीरज ने कहा, ‘तीन साल में दो रणजी खिताब और साथ ही विजय हजारे ट्रॉफी, यह बहुत कुछ कहता है कि टीम कैसे आगे आई है. हम लाल गेंद के क्रिकेट में एक मजबूत ताकत थे लेकिन अब आप सौराष्ट्र को सभी फॉर्मेट में सर्वश्रेष्ठ टीम में से एक कह सकते हैं. हम 10 साल पहले मुंबई से खेलने से डरते थे. अब वह और बाकी टीम हमारे से डरती हैं. वे इस तरह हैं कि हम सौराष्ट्र से क्यों खेल रहे हैं. यह एक बड़ा बदलाव है और बहुत कुछ कहता है.’

 

सौराष्ट्र की टीम में क्या बदला

 

सौराष्ट्र को मुंबई की मजबूत टीम के खिलाफ अपने पहले दो रणजी फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था और 2018-19 में भी टीम विदर्भ के खिलाफ खिताब नहीं जीत पाई. तो अब टीम में क्या बदलाव आया है? नीरज ने कहा, ‘यह खिलाड़ियों में आत्मविश्वास है, चाहे वे सीनियर हों या युवा, वे सभी टीम के लिए खेल रहे हैं. पिछले दो सालों में, हमने सभी को ऑलराउंडर बनाने की भी कोशिश की है. तो अगर कोई बल्लेबाज गेंदबाजी नहीं कर रहा है तो ठीक है, हम यह सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि वह अपनी बल्लेबाजी के अलावा क्षेत्ररक्षण और कैचिंग में भी अच्छा हो. हार्विक देसाई (विकेटकीपर-सलामी बल्लेबाज) को देखें. उन्होंने 2020 में कभी भी विकेटकीपिंग नहीं की लेकिन स्लिप में 25 कैच लपके. मैं उन्हें बल्लेबाजी ऑलराउंडर कहूंगा. जब हम मुश्किल में घिरे थे तो हमारे गेंदबाज रन बना रहे थे, मैं उन्हें गेंदबाजी ऑलराउंडर कह सकता हूं.’

 

सौराष्ट्र लगातार कैसे कर रहा है कमाल?

 

जब मुख्य बल्लेबाजों ने अच्छा नहीं किया तो चिराग, धर्मेंद्रसिंह, प्रेरक मांकड़ और पार्थ भुट जैसे खिलाड़ियों ने योगदान दिया. सौराष्ट्र की टीम के प्रदर्शन में निरंतरता रही जबकि चयन में निरंतरता ने भी टीम की सफलता में बड़ी भूमिका निभाई. भविष्य को ध्यान में रखते हुए चार सीजन में पहली बार टीम ने तीन खिलाड़ियों- जय गोहिल (डेब्यू पर दोहरा शतक), युवराजसिंह डोडिया (30 विकेट) और देवांग करमता को डेब्यू का मौका दिया जिन्होंने महाराष्ट्र के खिलाफ मैच खेला.

 

उन्होंने कहा, ‘खिलाड़ियों के बीच बहुत विश्वास है और इससे स्थिरता आती है. खिलाड़ी सुरक्षित महसूस करते हैं, वे जानते हैं कि वे प्लेइंग का हिस्सा होंगे और मुख्य खिलाड़ी वही रहते हैं. विश्वास के साथ स्थिरता आती है.’ रवींद्र जडेजा, चेतेश्वर पुजारा और उनादकट ने भले ही विजयी अभियान में सभी मैच नहीं खेले हों लेकिन उनकी सीमित उपस्थिति से भी टीम को व्यापक मदद मिलती है. उनादकट ने भारतीय टीम प्रबंधन से उन्हें रणजी फाइनल के लिए रिलीज करने का अनुरोध किया था. नीरज ने कहा, ‘जब भी पुजारा, उनादकट और जडेजा टीम के साथ होते हैं, वे भारतीय टीम के माहौल में जो कुछ देखते हैं, उसे आगे बढ़ाते हैं. इससे टीम को मदद मिलती है.’

 

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