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Ranji Trophy: क्रिकेटर पिता कोमा में गए तो बेटे ने थामा बैट और बॉल, अब बना मयंक अग्रवाल की टीम का काल, कर्नाटक को धूल चटा विदर्भ को सेमीफाइनल में पहुंचाया

Aditya Sarwate, Ranji Trophy: विदर्भ को रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में पहुंचाने वाले आदित्‍य सरवटे को क्रिकेट विरासत में मिली है. उन्‍होंने कर्नाटक के खिलाफ क्‍वार्टर फाइनल में कुल सात विकेट लिए.

विदर्भ ने कर्नाटक को हराकर रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में जगह बना ली है
authorकिरण सिंह
Tue, 27 Feb 03:23 PM

Aditya Sarwate, Ranji Trophy: विदर्भ ने कर्नाटक को धूल चटाकर रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में जगह बना ली है. विदर्भ की इस शानदार जीत के असली हीरो रहे आदित्‍य सरवटे (Aditya Sarwate), जिन्‍होंने बल्‍ले और बॉल दोनों से कमाल दिखाया. वो प्‍लेयर ऑफ द मैच रहे. आदित्‍य ने क्‍वार्टर फाइनल में कुल 7 विकेट लिए, जबकि दोनों पारी में 26 और 29 रन बनाए. आदित्‍य ने एक बार फिर विदर्भ को खिताब दिलाने में पूरी जान लगा दी. विदर्भ ने मयंक‍ अग्रवाल (Mayank Agarwal) की अगुआई वाली कर्नाटक को 371 रन का टारगेट दिया था, जिसके जवाब में कर्नाटक आखिरी पारी में 243 रन पर ही सिमट गई और विदर्भ ने 127 रन से मुकाबला जीत लिया. आदित्‍य ने पहली पारी में 50 रन पर तीन विकेट और आखिरी पारी में 78 रन पर चार विकेट लिए.

 

34 साल के आदित्‍य के दम पर विदर्भ अपने तीसरे खिताब से सिर्फ दो कदम ही दूर है. विदर्भ ने 2017–18 के सेमीफाइनल में भी कर्नाटक को हराकर इतिहास में पहली बार फाइनल में जगह बनाई थी और फिर खिताबी मुकाबले में दिल्‍ली को हराकर अपना पहला रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता था. इसके अगले साल फाइनल में सौराष्‍ट्र को हराकर विदर्भ ने अपना खिताब डिफेंड किया था. आदित्‍य फाइनल के प्‍लेयर ऑफ द रहे थे. उन्‍होंने कुल 11 विकेट लिए थे. अब एक बार फिर वो अपनी टीम को खिताब के काफी करीब लेकर आ गए हैं.

 

कोमा में चले थे आदित्‍य के पिता

आदित्‍य के लिए ये काफी इमोशनल पल हैं. कभी न हार मानने का जज्‍बा उन्‍होंने अपनी मां से सीखा. दरअसल आदित्‍य जब तीन साल के थे तो एक एक्‍सीडेंट के कारण उनके पिता कोमा में चले गए थे. पिता कोमा से तो बाहर आ गए, मगर उसके बाद वो व्‍हीलचेयर पर आ गए थे. इस मुश्किल समय में उनकी मां ने घर की सारी जिम्‍मेदारी उठाई और नौकरी करनी शुरू की. दूसरी तरफ मां के ऑफिस जाने के बाद आदित्‍य ने अपने पिता का ध्‍यान रखा. उन्‍हें नहलाते, उनके कपड़े बदलते और खाना खिलाते. 
 

आदित्‍य का फर्स्‍ट क्‍लास करियर

सालों पहले मीडिया को दिए इंटरव्‍यू में उन्‍होंने बताया था कि क्रिकेट उन्‍हें विरासत में मिली है. उनके पिता नागपुर यूनिर्वसिटी और पंजाब नेशनल बैंक के लिए खेलते थे. उनके दादा मराठी रेडियो क्रिकेट कमेंटेटर थे, जबकि उनके दादा के भाई चंदू सरवटे भारत के लिए खेले थे. 2015 में फर्स्‍ट क्‍लास क्रिकेट में डेब्‍यू करने वाले आदित्‍य ने विदर्भ के लिए 59 मैचों में 1922 रन बनाए हैं. जबकि 273 विकेट लिए.

 

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