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राहुल द्रविड़ ने सौरव गांगुली के धीमी पिचों के आरोप पर दिया करारा जवाब, बोले- विकेट हम नहीं बनाते, मुझे तो खुद...

राहुल द्रविड़ का कहना है कि भारतीय टीम स्पिन फ्रैंडली पिचेज की मांग नहीं करती है. उनका बयान भारत और इंग्लैंड के बीच विशाखापतनम टेस्ट के बाद आया है.

राहुल द्रविड़ का कहना है वे पिचेज को लेकर अनजान रहते हैं.
authorShakti Shekhawat
Mon, 05 Feb 10:31 PM

Rahul Dravid on spin friendy Indian Pitches: भारत और इंग्लैंड के बीच दूसरे टेस्ट के दौरान पूर्व कप्तान और बीसीसीआई प्रेसीडेंट रहे सौरव गांगुली ने टर्निंग पिचों को लेकर बयान दिया था. उनका कहना था कि भारत को ऐसी पिचेज नहीं बनानी चाहिए. इस पर अब टीम इंडिया के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ का जवाब आया है. उन्होंने विशाखापतनम टेस्ट में इंग्लैंड पर 106 रन से जीत के बाद कहा कि भारतीय टीम मैनेजमेंट पहले दिन से स्पिन को मदद करने वाली पिचों की मांग नहीं करता है. साथ ही पिच कैसा बर्ताव करेगी यह अनुमान लगाना भी मुश्किल होता है. भारत इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के पहले दो मुकाबलों में पिच काफी अच्छी रही है. इन पर स्पिन को ज्यादा मदद नहीं मिली. ये दोनों टेस्ट चार दिन तक चले हैं. एक में इंग्लैंड तो दूसरे में भारत जीता है.

 

द्रविड़ ने टर्निंग पिचेज पर क्या कहा

 

द्रविड़ से विशाखापतनम टेस्ट के नतीजे के बाद पूछा गया कि क्या अगले तीन टेस्ट में इसी तरह की पिच होंगी? भारतीय कोच ने कहा कि बाकी लोगों की तरह वे भी इस मसले पर अनजान होते हैं. द्रविड़ ने कहा, 

 

पिच क्यूरेटर बनाते हैं. हम टर्निंग पिचेज के लिए नहीं कहते हैं. निश्चित रूप से भारत में स्पिन होगी, कितना स्पिन होगी, कितना कम होगी, कैसे करेगी. मैं इसका एक्सपर्ट नहीं हूं. भारत में चार से पांच दिन में विकेट टर्न लेने लगते हैं लेकिन वे कितना टर्न लेंगे. मुझे कभी कहा जाता कि है वे तीसरे दिन से घूमेंगे लेकिन वे पहले दिन की स्पिन को मदद करने लगते हैं. कभी मुझे कहा जाता है कि दूसरे दिन से टर्न होगा और फिर चौथे दिन तक ऐसा नहीं होता. इसलिए मैं भी बाकियों की तरह ही अनजान होता हूं.

 

भारतीय कोच ने आगे कहा, 'हम विकेट को देखते हैं और कोशिश करते हैं कि जो काम सबसे अच्छा कर सकते हैं उसे करें. हम राजकोट जाएंगे और देखेंगे कि वहां क्या मिलता है और जो भी मिलेगा उससे खेलेंगे.'

 

गांगुली ने रैंक टर्नर पर उठाए थे सवाल

 

गांगुली ने हाल ही में कहा था कि भारत को जीतने के लिए रैंक टर्नर्स की जरूरत नहीं है. उसके पास संतुलित टीम है जिसमें बढ़िया बॉलर हैं जो कहीं पर भी कमाल कर सकते हैं. भारत में पिछले कुछ सालों में देखा गया कि गेंद पहले दिन से ही घूमने लगती है. ज्यादातर मुकाबले तीन दिन के अंदर ही खत्म हो रहे थे. ऐसे में पिचेज की हालत पर लगातार सवाल उठे हैं.

 

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