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ICC ने महिला क्रिकेट में ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के खेलने पर लगाया बैन, जानिए क्यों किया यह फैसला
आईसीसी बोर्ड मीटिंग 21 नवंबर को हुई. इसमें श्रीलंका क्रिकेट के निलंबन से लेकर वनडे व टी20 के दौरान ओवर्स के दौरान स्टॉप क्लॉक की शुरुआत का फैसला लिया गया.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने 21 नवंबर को बड़ा फैसला करते हुए उन क्रिकेटरों को अंतरराष्ट्रीय महिलाओं के खेल में प्रतिस्पर्धा करने से रोक दिया जो ‘मेल प्यूबर्टी’ (पुरुषों में किशोरावस्था में होने वाला शारीरिक/लैंगिक बदलाव) हासिल कर चुके हैं. इसमें सर्जरी या लिंग परिवर्तन के मामले भी शामिल हैं. आईसीसी ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट की अखंडता और खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए यह निर्णय ले रहा है. आईसीसी बोर्ड मीटिंग में यह फैसला हुआ.
इस नियम के सामने आने से कनाडा के लिए खेलने वाली डेनियल मैक्गाही अब नहीं खेल पाएंगी. वह इस साल की शुरुआत में इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने वाली पहली ट्रांसजेंडर बनी थी. वह ऑस्ट्रेलिया की रहने वाली हैं लेकिन 2020 में कनाडा चली गई थीं. उन्होंने 2021 में पुरुष से महिला बनने का फैसला किया था. 2023 में वह कनाडा की ओर से 2024 टी20 वर्ल्ड कप के क्वालिफायर टूर्नामेंट में खेली थी. उनके नाम छह टी20 इंटरनेशनल में 118 रन हैं.
आईसीसी की ओर से जारी बयान में कहा, ‘नई नीति निम्नलिखित सिद्धांतों (प्राथमिकता के क्रम में) पर आधारित है. महिलाओं के खेल की अखंडता, सुरक्षा, निष्पक्षता और समावेशन. इसका मतलब है कि कोई भी पुरुष से महिला बनने वाले प्रतिभागी जो किसी भी प्रकार की ‘मेल प्यूबर्टी’ से गुजर चुके हैं वे सर्जरी या लिंग परिवर्तन उपचार के बावजूद अंतरराष्ट्रीय महिला खेल में भाग लेने के पात्र नहीं होंगे.’
आईसीसी ने किस तरह लिया फैसला
लिंग पुनर्निर्धारण और उपचार सालों से विश्व एथलेटिक्स में बहस का विवादित विषय रहा है. आईसीसी ने अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट के लिए लिंग पात्रता के नियमों को मजबूत करते हुए घरेलू स्तर पर इस मुद्दे को सदस्य बोर्डों के हाथों में छोड़ दिया. आईसीसी ने कहा, ‘यह फैसला डॉ. पीटर हरकोर्ट की अध्यक्षता वाली आईसीसी चिकित्सा सलाहकार समिति के नेतृत्व में की गई समीक्षा पर आधारित है. यह पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट के लिए लैंगिक पात्रता से संबंधित है. घरेलू स्तर पर लैंगिक पात्रता के मामले में प्रत्येक सदस्य बोर्ड का अपना कानून होगा. इस नियम की दो साल के अंदर समीक्षा की जाएगी.’
आईसीसी के मुख्य कार्यकारी ज्योफ अलार्डिस ने कहा कि संस्था ‘व्यापक विचार-विमर्श’ के बाद इस निर्णय पर पहुंची है. उन्होंने कहा, ‘लिंग पात्रता नियमों में बदलाव एक व्यापक परामर्श प्रक्रिया के बाद हुआ है. यह विज्ञान पर आधारित होने के साथ समीक्षा के दौरान विकसित किए गए मूल सिद्धांतों के अनुरूप है.’
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