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Yuvraj Singh Charity: कैंसर की जंग जीतने वाले युवराज सिंह कैसे कर रहे हैं लोगों की मदद, YouWeCan को खड़ा करने में मां शबनम ने भी दिया है साथ
Yuvraj Singh Charity: युवराज सिंह और उनकी मां शबनम सिंह ने पिछले 12 सालों में कई कैंसर मरीजों की मदद की है. यूवीकैन फाउंडेशन को दोनों मिलकर चलाते हैं. युवराज कैंसर को मात दे चुके हैं.
कोरोना काल के दूसरे वेव ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. इस दौरान न जाने कितने लोगों ने अपने करीबियों को खोया. कई ऐसे थे जो ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं जुटा पाए. पूरे देशभर में कोविड मरीजों की तादाद इतनी ज्यादा हो गई थी कि हर शख्स अपनी जिंदगी से लड़ रहा था. इस बीच जब सभी अपनी जान बचा रहे थे वहीं टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर और वर्ल्ड कप विजेता युवराज सिंह अपने फाउंडेशन यूवीकैन (YouWeCan) की मदद से लोगों को हेल्थकेयर की सुविधाएं दे रहे थे और जानलेवा वायरस से सभी को सुरक्षित कर रहे थे.
क्या है यूवीकैन?
यूवीकैन एक भारतीय नॉन प्रॉफिट संगठन है जो कैंसर से लड़ने के लिए समर्पित है. इसकी स्थापना 2012 में भारतीय पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह ने अपनी मां शबनम सिंह की मदद से की थी. एसोसिएशन चार प्रमुख एरिया पर फोकस करता है. इसमें कैंसर जागरूकता, स्क्रीनिंग, उपचार सहायता और जो कैंसर ले लड़कर वापसी करते हैं उनको सपोर्ट करना शामिल है. यूवीकैन पूरी तरह भारत में काम करता है.
बता दें कि साल 2012 में युवराज सिंह को कैंसर हो गया था. कैंसर के बाद वो अपना इलाज करवाने के लिए अमेरिका गए और इसी के बाद उन्होंने मोटिवेट होकर कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए यूवीकैन लॉन्च किया. बता दें कि सितंबर 2012 में, YouWeCan ऐप को शुरुआत में माइक्रोसॉफ्ट के जरिए विंडोज फोन के लिए लॉन्च किया गया था. ऐप की हर खरीदारी के लिए, सिंह फाउंडेशन को 565 रुपए दान में मिलते थे. सितंबर 2012 में, कलर्स और यूवीकैन ने एक टेलीविजन शो, जिंदगी अभी बाकी यही है, की घोषणा की, जो युवराज सिंह की कैंसर को मात देने की कहानी से प्रेरित थी.
अप्रैल 2015 में युवराज सिंह ने 40-50 करोड़ रुपए टेक स्टार्टअप में लगाए और यूवीकैन को और बड़ा बनाया. शुरुआती निवेश उन्होंने व्योमो, मूवो, हेल्थियंस, एडुकार्ट, जेटसेटगो में लगाया.
क्या कहते हैं युवराज सिंह?
यूवीकैन को लेकर युवराज सिंह का कहना है कि, मैंने अपने जीवन में मैदान के अंदर और बाहर कई लड़ाइयां लड़ी हैं. लेकिन लड़ाई कितनी भी कठिन क्यों न हो, मेरे लिए सबसे बड़ी लड़ाई कैंसर थी. और यह लड़ाई जीतने में मुझे सबसे बड़ा समर्थन आपसे मिला. सबकुछ आपके प्यार, प्रार्थनाओं, शुभकामनाओं और शक्ति के कारण मुमकिन हो पाया जो आपने मुझे दिया.
यही कारण है कि मैंने जरूरत के समय अन्य कैंसर रोगियों के साथ खड़े होने के लिए अपना फाउंडेशन शुरू किया, जैसे आप में से हर कोई मेरे साथ खड़ा था. जब भी भारत में किसी को कैंसर का पता चलता है, मैं उन्हें यह संदेश देना चाहता हूं कि “आप अकेले नहीं हैं. मैं तुम्हारे साथ हूं. YouWeCan आपके साथ है. चाहे यह कितना भी कठिन क्यों न हो, आपको हार नहीं माननी चाहिए. हम साथ मिलकर कैंसर से लड़ सकते हैं और लड़ेंगे!
मुझे उम्मीद है कि आप मेरे फाउंडेशन का वैसे ही समर्थन करेंगे जैसे आपने मेरा किया है. कृपया भारत में कैंसर के खिलाफ लड़ाई में मेरा साथ दें! क्योंकि एक साथ हम कर सकते हैं!
कैसे काम करता है यूवीकैन?
यूवीकैन फाउंडेशन अलग अलग पार्टनर्स और कंपनियों के साथ मिलकर काम करता है और फंड इकट्ठा करता है. फाउंडेशन गांव के इलाकों में कई सारे जागरूकता अभियान भी चलाता है. वहीं ये ओरल, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर और कैंसर स्क्रीनिंग पर फोकस करता है. यूवीकैन हेल्थ सेंटर पर भी फोकस करता है जो डिस्ट्रिक्ट लेवल पर होते हैं. फाउंडेशन ने अब तक 150,000 लाख लोगों को स्क्रीन किया है. साल 2019 तक फाउंडेशन ने उन 25 बच्चों को सपोर्ट किया जो कैंसर से पीड़ित थे. साल 2020 में पेबैक ने यूवीकैन का समर्थन किया जिससे बच्चों का इलाज किया जा सके. फिलहाल फाउंडेशन उन लोगों की मदद करता है जिनकी इनकम 2 लाख सालाना से कम है. फाउंडेशन एंटी टैबेको वर्कशॉप भी चलाता है.
कोरोना में लोगों की की फाउंडेशन ने की थी मदद
साल 2021 जून में इस फाउंडेशन ने मिशन 1000 बेड्स की शुरुआत की थी. इस मिशन के तहत सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजेनेटेड बेड, वेंटिलेटर और बाकी की जरूरी चीजों को सेटअप किया गया था. इस मिशन का बजट 20 करोड़ रुपए था जिसे एक्सेंचर, गिव इंडिया और एसबीआई फाउंडेशन और इंडसलैंड बैंक ने मिलकर डोनेट किया था.
बता दें कि मिशन 1000 बेड पहल के तहत, टीम ने 11 राज्यों के 14 सरकारी अस्पतालों में 1,020 सीसीयू बेड स्थापित किए, जिनमें दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, जम्मू और कश्मीर, असम, हरियाणा शामिल हैं. इसके अलावा और भी राज्य के इलाके इसमें शामिल थे. बता दें कि यूवीकैन की चेयरपर्सन शबनम सिंह हैं और कैंसर मरीजों की सेवा और उनके सपोर्ट के लिए युवराज की मां का भी उतना ही अहम रोल है जितना पूर्व क्रिकेटर का है. युवराज की मां कहती हैं कि हम चाहते हैं कि भारत कैंसर को हरा दे.
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