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IND vs ENG सीरीज के बीच दिग्गज भारतीय क्रिकेटर का निधन, इंग्लैंड के खिलाफ किया था डेब्यू और टीम इंडिया की कप्तानी

Dattajirao Gaekwad: पूर्व कप्तान दत्ताजीराव गायकवाड़ का मंगलवार को निधन हो गया. वह भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज और राष्ट्रीय कोच अंशुमान गायकवाड़ के पिता थे

दत्ताजीराव गायकवाड़
authorNeeraj Singh
Tue, 13 Feb 01:55 PM

Dattajirao Gaekwad: भारत के सबसे उम्रदराज टेस्ट क्रिकेटर दत्ताजीराव कृष्णराव गायकवाड़ (Dattajirao Gaekwad) का मंगलवार को गुजरात के वडोदरा में उनके आवास पर निधन हो गया. वह 95 वर्ष के थे. गायकवाड़ के परिवार में उनके बेटे, अंशुमन गायकवाड़ हैं, जो भारत क्रिकेट टीम के पूर्व कोच हैं. बड़ौदा के शाही परिवार से संबंधित, गायकवाड़ ने बड़ौदा राज्य की महारानी चिमनाबाई हाई स्कूल में पढ़ाई की थी. गायकवाड़ वो शख्स हैं जो 1957-58 में बड़ौदा क्रिकेट टीम के कप्तान के रूप में अपने पहले साल में रणजी ट्रॉफी जीत चुके हैं. गायकवाड़ के नेतृत्व में, बड़ौदा टीम ने वडोदरा के मोतीबाग स्टेडियम में खेले गए फाइनल मैच में सर्विसेज टीम को एक पारी और 51 रनों से हराया था.

 

 

 

सीएस नायडू से ली थी कोचिंग

 

गायकवाड़ 1948 में भारत के पूर्व कप्तान सीके नायडू के भाई, टेस्ट क्रिकेटर सी.एस. नायडू के छात्र थे. उन्हें युवा खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने के लिए बड़ौदा के महाराजा के जरिए नियुक्त किया गया था. उस समय, गायकवाड़ 12 साल के थे और बड़ौदा में सीके नायडू के जरिए शुरू किए गए पहले अंडर -14 और अंडर -16 क्रिकेट टूर्नामेंट का हिस्सा थे.

 

बोर्ड ने भी किया याद

 

बता दें कि बीसीसीआई ने भारत के पूर्व कप्तान और भारत के सबसे उम्रदराज टेस्ट क्रिकेटर दत्ताजीराव गायकवाड़ के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है. बोर्ड ने लिखा कि दत्ताजीराव गायकवाड़ ने 11 टेस्ट खेले और 1959 में भारत के इंग्लैंड दौरे के दौरान टीम का नेतृत्व किया. उनकी कप्तानी में, बड़ौदा ने 1957-58 सीजन में फाइनल में सर्विसेज को हराकर रणजी ट्रॉफी भी जीती. बोर्ड गायकवाड़ के परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता है.

 

 

 

गायकवाड़ ने सीएस नायडू से लेग स्पिन और गुगली गेंदबाजी सीखी थी. उन्होंने 1948 में बॉम्बे यूनिवर्सिटी के लिए रणजी में डेब्यू करने के बाद 1952 और 1961 के बीच 11 टेस्ट मैच खेले. इस दौरान उनके साथ पॉली उमरीगर और जी रामचंद भी थे. गायकवाड़ ने विजय हजारे जैसे दिग्गजों के साथ भी साझेदारी की. इसके बाद वो एमएस यूनिवर्सिटी की क्रिकेट टीम के गठन के समय उसके पहले कप्तान बने और बाद में, 2000 तक बड़ौदा रणजी टीम को भी कोचिंग दी. गायकवाड़ ने संयुक्त सचिव के रूप में भी काम किया था. अक्टूबर 2020 में, डीके गायकवाड़ के 92वें जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए डाक विभाग ने एक स्मारक कवर जारी किया था.

 

क्रिकेट करियर

 

दत्ताजीराव ने साल 1952 से लेकर 1961 के बीच भारत के लिए कुल 11 टेस्ट खेले और 350 रन बनाए. साल 1959 में वो इंग्लैंड दौरे पर टीम के कप्तान थे. 1952 में इस खिलाड़ी का डेब्यू हुआ और अंतिम मैच उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ साल 1961 में खेला. दत्ताजीराव के साथ उनके बेटे अंशुमान गायकवाड़ ने भी 1975 और 1987 के बीच 40 टेस्ट और 15 एकदिवसीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. गायकवाड़ परिवार का भारतीय क्रिकेट में बड़ा योगदान है. अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के अलावा दत्ताजीराव गायकवाड़ घरेलू क्रिकेट में भी एक दिग्गज खिलाड़ी थे.  उन्होंने 1947 से 1964 तक 17 सालों तक बड़ौदा का प्रतिनिधित्व किया है. उनके घरेलू रिकॉर्ड में 110 मैचों में 17 शतक और 23 अर्द्धशतक के साथ 5,788 रन हैं, जो उनके शानदार करियर को दर्शाता है. साल 2016 में वो भारत के सबसे उम्रदराज वाले टेस्ट क्रिकेटर थे.

 

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